राजगीर इंटरनेशनल कन्वेंशन हॉल में तीन दिवसीय इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन के राष्ट्रीय कांफ्रेंस का हुआ आयोजन-देश के सभी राज्यों से 1200 चिकित्सक हुए शामिल
राजगीर इंटरनेशनल कन्वेंशन हॉल में तीन दिवसीय इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन के राष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजन किया गया है।इस कार्यक्रम में देश के सभी राज्यों से 1200 चिकित्सक शामिल हुए हैं। इस तीन दिनों तक देश के वरीय चिकित्सकों के द्वारा विभिन्न विषयों पर 170 शोध पत्र पढ़े गए।कार्यक्रम का उद्घाटन इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.अतुल श्रीवास्तव, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. वी.के. सिन्हा,आयोजन समिति के सचिव डॉ. अशोक कुमार सिन्हा,डॉ. रंजीत कुमार सिंह,डॉ. संजय धवन,डॉ.मनोज कुमार डॉ. राम चड्ढा , डॉ राजीव आनंद संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित प्रकार किया।इस अवसर पर आयोजन समिति के सचिव डॉ अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि तीन दिवसीय इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन के राष्ट्रीय कांफ्रेंस 'नेल्सन शुरू हो गया है।और इस कार्यक्रम में देश के सभी राज्यों से 1200 चिकित्सक शामिल हुए हैं।
जिसमें तीन दिनों तक विभिन्न विषयों पर 170 शोध-पत्र विशेषज्ञों के द्वारा पढ़ा जाएगा।उन्होंने कहा कि 80% से अधिक दर्दनाक चोटें सड़क दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप होती थीं।इनमें सिर, रीढ़ की हड्डी, छाती, अंगों की जटिल चोटें और दुर्घटनाओं या गिरने से होने वाली अंग क्षति शामिल हैं।उन्होंने कहा कि एक पूर्ण जीवन की खोज में, अच्छे स्वास्थ्य के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता।स्वास्थ्य देखभाल के विभिन्न पहलुओं के बीच, आर्थोपेडिक देखभाल किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।गतिशीलता का समर्थन करने से लेकर समग्र कल्याण को बढ़ाने तक, आर्थोपेडिक देखभाल में उपचार और प्रथाओं की एक श्रृंखला शामिल है जो सीधे तौर पर प्रभावित करती है कि हम जीवन का अनुभव कैसे करते हैं। इस लेख में, हम आर्थोपेडिक देखभाल के महत्व का पता लगाएंगे और यह हमारे दैनिक अस्तित्व पर कितना गहरा प्रभाव डालता है।आर्थोपेडिक देखभाल आपके दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित करती है।उन्होंने कहा कि आर्थोपेडिक देखभाल दवा की एक विशेष शाखा है।जो मस्कुलोस्केलेटल प्रणाली से संबंधित स्थितियों के निदान, उपचार, रोकथाम और पुनर्वास के लिए समर्पित है। इस जटिल प्रणाली में हड्डियाँ, जोड़, मांसपेशियाँ, स्नायुबंधन, टेंडन और अन्य संयोजी ऊतक शामिल हैं। आर्थोपेडिक देखभाल फ्रैक्चर और खेल की चोटों से लेकर गठिया जैसी अपक्षयी स्थितियों तक, मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला का समाधान करती है।उन्होंने कहा कि आर्थोपेडिक देखभाल के प्रमुख लाभों में से एक गतिशीलता और कार्यक्षमता को बढ़ाने में इसकी भूमिका है।हमारा मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम शरीर के संरचनात्मक ढांचे के रूप में कार्य करता है।जो हमें चलने, चलने, दौड़ने और रोजमर्रा की गतिविधियों को करने में सक्षम बनाता है। सर्जिकल और गैर-सर्जिकल दोनों प्रकार के आर्थोपेडिक उपचारों का उद्देश्य इन घटकों की कार्यप्रणाली को बहाल करना और उनमें सुधार करना है।
दर्द को कम करने वाले जोड़ों के प्रतिस्थापन से लेकर कमजोर मांसपेशियों को मजबूत करने वाली भौतिक चिकित्सा तक, आर्थोपेडिक देखभाल व्यक्तियों को अपनी स्वतंत्रता हासिल करने और सक्रिय रहने के लिए सशक्त बनाती है।उन्होंने कहा कि आर्थोपेडिक स्थितियों से उत्पन्न होने वाला पुराना दर्द किसी के जीवन की गुणवत्ता को काफी हद तक कम कर सकता है।चाहे वह हर्नियेटेड डिस्क की पीड़ा हो या ऑस्टियोआर्थराइटिस की लगातार परेशानी, आर्थोपेडिक देखभाल दर्द को कम करने और प्रबंधन पर केंद्रित है। दर्द-राहत तकनीकों, दवाओं और लक्षित उपचारों के संयोजन के माध्यम से, व्यक्ति लगातार दर्द से राहत पा सकते हैं। यह, बदले में, न केवल शारीरिक आराम में सुधार करता है बल्कि मानसिक और भावनात्मक कल्याण पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।उन्होंने कहा कि आर्थोपेडिक देखभाल केवल मौजूदा स्थितियों को संबोधित करने के बारे में नहीं है; यह रोकथाम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्वस्थ वजन बनाए रखने, नियमित व्यायाम करने और एर्गोनोमिक प्रथाओं को अपनाने जैसे सक्रिय उपाय ऑर्थोपेडिक मुद्दों के जोखिम को काफी कम कर सकते हैं।
इन निवारक रणनीतियों को अपनाकर, व्यक्ति अपने मस्कुलोस्केलेटल स्वास्थ्य की दीर्घायु को बढ़ा सकते हैं और बाद में जीवन में दुर्बल स्थितियों की संभावना को कम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन की गुणवत्ता पर आर्थोपेडिक देखभाल का प्रभाव गहरा है। कल्पना करें कि आप दर्द से घबराए बिना चलने में सक्षम हो सकते हैं, ऐसे शौक पूरे कर सकते हैं जिनमें शारीरिक परिश्रम की आवश्यकता होती है, या बस बिना किसी परेशानी के अच्छी रात की नींद का आनंद ले सकते हैं।आर्थोपेडिक हस्तक्षेप इन परिदृश्यों को संभव बनाते हैं। गतिशीलता में सुधार करके, दर्द को कम करके और समग्र मस्कुलोस्केलेटल स्वास्थ्य को बढ़ावा देकर, आर्थोपेडिक देखभाल व्यक्तियों को शारीरिक सीमाओं से मुक्त पूर्ण जीवन जीने के लिए सशक्त बनाती है।उन्होंने कहा कि इस कांफ्रेंस का मुख्य उद्देश्य फ्रैक्चर के बेहतर इलाज का है।ऑर्थोपेडिक नैलिंग को कैसे और डेवलप किया जाए, इसी पर मंथन करना है। इस विधा के नए - नए तकनीक से डॉक्टरों को अवगत कराना भी एक उद्देश्य है।इस अवसर पर विशेषज्ञ दो अमूल्य कुमार सिंह ने कहा इस कार्यक्रम के माध्यम से अभ्यास करने वाले सर्जनों को वर्तमान ज्ञान, स्नातकोत्तर छात्रों को निर्देशात्मक पाठ्यक्रम व्याख्यान और एसोसिएशन के सदस्यों को प्रबंधन प्रोटोकॉल में अंतर्दृष्टि प्रदान करना है।उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के माध्यमों से सदस्यों के बीच वैज्ञानिक और सांस्कृतिक बातचीत का उत्कृष्ट प्रदर्शन होता है।
उन्होंने कहा कि हड्डी और जोड़ों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना और विभिन्न मस्कुलोस्केलेटल विकारों और स्थितियों को रोकना है।उन्होंने कहा कि लोगों को हड्डी और जोड़ों के मुद्दों के संकेतों और लक्षणों के बारे में शिक्षित करके , यह दिन शीघ्र पता लगाने और समय पर हस्तक्षेप को प्रोत्साहित करता है। शीघ्र निदान से बेहतर उपचार परिणाम और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।इसलिए हमने अपनी हड्डियों और जोड़ों के स्वास्थ्य बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हड्डी और जोड़ों के स्वास्थ्य में गिरावट के मुख्य कारणों में आवश्यक शारीरिक गतिविधियों के बारे में जागरूकता की कमी, विटामिन डी से भरपूर उचित पोषण की कमी, शराब का सेवन जैसी आदतें शामिल हैं। तम्बाकू चबाना और धूम्रपान करना, और युवा और रजोनिवृत्त महिलाओं में कैल्शियम सेवन की कमी।शीघ्र उपचार के लिए कमजोर हड्डियों और जोड़ों के लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है।सामान्य लक्षणों में लगातार जोड़ों में दर्द, कठोरता, सूजन, गति की कम सीमा, दैनिक गतिविधियों को करने में कठिनाई और फ्रैक्चर की बढ़ती संवेदनशीलता शामिल है। पीठ, कूल्हों, घुटनों और कंधों में पुराना दर्द और असुविधा भी हड्डी और जोड़ों की समस्याओं का संकेत दे सकती है। यदि किसी को इनमें से कोई भी लक्षण अनुभव होता है, तो उचित मूल्यांकन और उपचार के लिए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना आवश्यक है।
इस अवसर पर ऑर्थोपेडिक सर्जन डा प्रशांत कुमार सिन्हा ने कहा कि केशव नैलिंग से इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।आर्डिनरी नैलिंग लूज हो जाता है। लेकिन केशव नेल (टूटे हुए हड्डी को जोड़नेवाला रॉड) डालने से यह लंबे वक्त तक स्थायी निवारण देता है। उन्होंने कहा कि सुप्रकोंडायलर नैलिंग ऑफ फेमूर ' विषय पर अपनी बातों को रखा।वहीं महाराष्ट्र से आए डायरेक्टर डा शिवा शंकर कूल्हा टूटने पर उसके इलाज के लिए ईजाद नए तकनीक के उपर अपनी बातों को रखा।
इस अवसर पर डॉ अमित रस्तोगी, डॉ महेश प्रसाद, डॉ रंजीत कुमार, डॉ राम चड्ढा, डॉ संजय धवन, डॉ अरुण कुमार ,डॉक्टर मणि भूषण ,डॉक्टर प्रवीण साहू, डॉ रमित गुंजन, डॉ मधुसूदन कुमार, डॉ सुधीर कुमार, डॉ शैलेंद्र कुमार सिंह, डॉ राजीव रमन, डॉ नवीन ठाकुर, डॉ बीके ठाकुर, डॉक्टर प्रोफेसर अर्जुन सिंह, डॉ उपेंद्र कुमार, डॉक्टर रोहित लाल, डॉक्टर निशांत सिंह, डॉक्टर विद्यासागर, डॉ एनके अग्रवाल, डॉ अजीत सैगल, डॉ मनीष कुमार ,डॉक्टर संदीप कुमार ,डॉक्टर अमित रस्तोगी, डॉक्टर संतोष सिंह , डॉ अरुण कुमार शर्मा, डॉ प्रभात प्रकाश, डॉ सूर्य प्रकाश शर्मा, डॉ रंजीत कुमार सिंह, डॉक्टर के एस आनंद, डॉ अरुण कपूर ,डॉक्टर नवीन ठक्कर, डॉ प्रमोद कुमार डॉक्टर आशुतोष कुमार डॉ नीरज राज डॉक्टर सिद्धार्थ सिंह, सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
राजगीर इंटरनेशनल कन्वेंशन हॉल में तीन दिवसीय इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन के राष्ट्रीय कांफ्रेंस का हुआ आयोजन-देश के सभी राज्यों से 1200 चिकित्सक हुए शामिल
Reviewed by News Bihar Tak
on
September 24, 2023
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