छत्रपति शाहू जी महाराज की जयंती को लेकर राजगीर से रथ यात्रा निकाली गयी,सचिव ने कहा:यह रथ यात्रा जिले के गांव-गांव जाकर छत्रपति शाहूजी महाराज के इतिहास के बारे में लोगों को बतायेगी
छत्रपति शाहू जी महाराज की जयंती को लेकर राजगीर से रथ यात्रा निकाली गयी,सचिव ने कहा:यह रथ यात्रा जिले के गांव-गांव जाकर छत्रपति शाहूजी महाराज के इतिहास के बारे में लोगों को बतायेगी
राजगीर।।
छत्रपति शाहू जी महाराज की जयंती को लेकर राजगीर से रथ यात्रा निकाली गयी। इसे अनार्य प्रगति मिशन के सचिव संपती कुमार, समाजसेवी प्रियदर्शी बिरेन्द्र प्रसाद, मनोहर कुमार चौधरी, अधिवक्ता धीरेन्द्र कुमार,अधिवक्ता आशुतोष कुमार, सुखनारायण गुप्ता ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर जिले में भ्रमण के लिए रवाना किया। सचिव संपती कुमार ने कहा कि यह रथ यात्रा जिले के गांव-गांव जाकर छत्रपति शाहूजी महाराज के इतिहास के बारे में लोगों को बतायेगी। जयंती 26 जून को सरस्वती भवन में मनाया जायेगा। इसकी तैयारी जोरों पर है। उनहोंने कहा कि शाहूजी मराठा के भोंसले राजवंश के राजा और कोल्हापुर की भारतीय रियासतों के महाराजा थे। वे छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज थे। इनका बचपन का नाम यशवंत राव था। उनके बताये रास्ते पर चलकर ही देश का असल विकास हो सकता है। छत्रपति साहू जी एक सच्चे समाजसुधारक थे। वे राजा होते हुए भी दलित और शोषित वर्ग के कष्ट को समझते थे और उनसे लगाव रखते थे। उन्होंने दलित वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की शुरूआत की थी। उनके शासन काल में बाल विवाह पर रोक लगाया गया था। साहूजी के पिता श्रीमंत जयसिंह राव आबासाहब घाटगे थे। उनकी माता राधाबाई थी।
उन्होंने अपने शासन काल में 1902 में आरक्षण की व्यवस्था करायी थी। कोल्हापुर के शासन-प्रशासन के 50 प्रतिशत पद पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित किये थे। साहू जी महाराज ने भीमराव अम्बेडकर को उच्च शिक्षा के लिए विलायत भेजने में अहम रोल अदा की थी।उन्हें बालक भीमराव अम्बेडकर की तीक्ष्ण बुद्धि के बारे में पता चला तो वे खुद उनसे मिलने गये। उनके राज्य में कोल्हापुर के अंदर ही दलित-पिछड़ी जातियों के दर्जनों समाचार पत्र और पत्रिकाएं प्रकाशित होती थी। छत्रपति शाहू जी महाराज के कार्यों से उनके विरोधी भयभीत हो गये थे।उन्होंने कहा था कि जब तक आदमी को आदमी नहीं समझा जायेगा समाज का चौतरफा विकास नहीं हो सकता है।इस मौके पर डोली यूनयिन के अध्यक्ष कृष्ण चन्द्रवंशी, रामस्वरूप प्रसाद,,मोहन कुमार, उदय कुमार, आनंदी राम, शंभु कुमार, गौतम कुमार गोस्वामी सहित अन्य मौजूद थे।

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