प्रजापति समाज के लोगों ने संतराम बी.ए की जयंती बड़े धूम धाम से राजगीर में मनाया,अध्यक्ष संजीव कुमार बिट्टू ने कहा: हम लोगों को उनके बताए रास्ते पर चलकर समाज और देश की सेवा करनी चाहिए
बिहार कुमार प्रजापति समन्वय राजगीर समिति के बैनर तले कुम्हार समाज में जन्में प्रसिद्ध पत्रकार महान साहित्यकार एवं कलम के जरिए बहुत जनों में क्रांति चेतना भरने वाले महापुरुष संतराम बीए की जयंती राम हरिपिंड रोड राजगीर में मनाई गई।जिसमें समिति के जिला कोषाध्यक्ष राजीव रंजन कुमार ने संतराम बीए के जीवन पर प्रकाश डाला ।और बताया कि संतराम बीए प्रजापति कुम्हार समाज में समय समय में ऐसी महान विभूतियों ने जन्म लिया है। जिन्होंने न केवल समाज बल्कि देश का भी नाम रोशन किया है।
उन्हीं में से एक हैं संतराम बीए जिन्होंने देश की विषमता भरी जाति व्यवस्था रूढ़िवादिता, पाखंडवाद ,अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाई जाति और वर्ग विहीन समाज के निर्माण के लिए अपनी कलम चलाई संतराम बीए ने 100 से अधिक पुस्तके लिखी तथा कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रहे संतराम बीए का जन्म पंजाब के होशियारपुर के बस्ती गांव में 14 फरवरी 1887 में कुम्हार समाज में हुआ इनके प्रारंभिक शिक्षा बजवाड़ा के हाई स्कूल में हुई ।इसके बाद 1909 में इन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर से बी.ए. किया इनके समय में बी.ए.पास करना बहुत बड़ी बात हुआ करती थी ।इसलिए लोगों ने इन्हें संतराम बीए कहना प्रारंभ कर दिया। तभी से इनका नाम संतराम बीए हो गया ।संतराम बीए ने अपने नाम के साथ कभी जाति का उल्लेख नहीं किया। क्योंकि वह देश में व्याप्त वर्ग व्यवस्था के खिलाफ थे।
वहीं बिहार कुमहार( प्रजापति) समिति के मगध प्रमंडल अध्यक्ष संजीव कुमार बिट्टू कहा की संतराम बी. ए. विद्यार्थी जीवन से ही समाज सेवा के कार्यों में रुचि रखा करते थे ।आगे जाकर स्वामी दयानंद सरस्वती और श्रद्धानंद के विचारों से काफी प्रभावित हुए ।और आर्य समाजी हो गए इसके बाद भी परमानंद के संपर्क में आए फिर दोनों ने मिलकर 1922 में "जाती पाती तोडो मंडल" की स्थापना की ।जिसके प्रधान परमानंद को बनाया गया तथा संतराम सचिव बने धीरे-धीरे "जाती पाती तोड़क मंडल "का दायरा बढ़ने लगा ।और पंजाब की सीमाओं को पार करते हुए देशभर में इसकी शाखाएं खोलने लगी ।मंडल के प्रयासों से सैकड़ों अंतरजातीय विवाह होने लगे ।इनके चलते इन्हें कई प्रकार के विरोध का भी सामना करना पड़ा। मंडल के प्रयासों के चलते बहुत सारे लोगों ने शिकायत का सामना करना पड़ा मंडल के तत्वाधान में 1936 में वार्षिक अधिवेशन का आयोजन रखा गया ।अध्यक्षीय भाषण के लिए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को लाहौर बुलाया गया था। जिसमें सहमति नहीं बनने के कारण अधिवेशन निरस्त कर
दिया गया ।संतराम बीए के द्वारा 1948 में लिखी गई किताब" हमारा समाज "काफी चर्चित रहा , इससे उन्होंने हिंदू समाज में हलचल मचा दी थी। इसमें कई ऐतिहासिक घटनाओं के माध्यम से हिंदू समाज में व्याप्त रूढ़िवादिता कट पर कटाक्ष किया है ।संतराम के द्वारा लिखे जाने वाले लेख उस समय की सभी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते थे। वहीं पर जिला अध्यक्ष मोतीचंद ने बताया कि संतराम बीए उर्दू में भी स्वयं की पत्रिका निकाली थी। जिसका नाम क्रांति था। इसके अलावा उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।जिसमें जालंधर महाविद्यालय के मुख्य पत्रिका भारतीय तथा विशंभर आनंद वैदिक संस्थान की पत्रिका विश्व ज्योतिष शामिल है।संतराम बीएफ 31 मई 1988 को अपनी बेटी गार्गी चड्डा के यहां अंतिम सांस ली।
इसके बाद हमारे पूर्व सचिव सुनील कुमार ने बताया कि इनके आदर्शो को अपनाकर हम अपने समाज में एक नई क्रांति ला सकते हैं। इस अवसर पर पूर्व जिला उपाध्यक्ष सुबोध पंडित,सुजीत पंडित, सरपंच सुरेंद्र पंडित, रामप्रवेश पंडित, सरपंच गनौरी पंडित, प्रमोद पंडित, नीरज कुमार, मिथुन कुमार,गुड्डू कुमार, सुनील कुमार, रवि प्रकाश, संतोष सर,राजेंद्र पंडित, अनिल कुमार प्रजापति,धनंजय कुमार, बबलू पंडित, राजीव प्रजापति सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
प्रजापति समाज के लोगों ने संतराम बी.ए की जयंती बड़े धूम धाम से राजगीर में मनाया,अध्यक्ष संजीव कुमार बिट्टू ने कहा: हम लोगों को उनके बताए रास्ते पर चलकर समाज और देश की सेवा करनी चाहिए
Reviewed by News Bihar Tak
on
February 15, 2023
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