पर्यटन स्थल राजगीर के गुरु नानक शीतल कुंड प्रांगण में गुरुवार को गुरु तेग बहादुर जी का 400 वां प्रकाश पर्व मनाया गया, देश के कई राज्यों के सिख श्रद्धालु हुए शामिल

पर्यटन स्थल राजगीर के गुरु नानक शीतल कुंड प्रांगण में गुरुवार को गुरु तेग बहादुर जी का 400 वां प्रकाश पर्व मनाया गया, देश के कई राज्यों के सिख श्रद्धालु हुए शामिल


राजगीर।।

पर्यटन स्थल राजगीर के गुरु नानक शीतल कुंड प्रांगण में गुरु तेग बहादुर जी का 400 वां प्रकाश पर्व मनाया गया,इस अवसर पर दिल्ली,छत्तीसगढ़, लुधियाना,अमृतसर,पंजाब,जालंधर,झारखंड ,पटना, हरियाणा सहित अन्य राज्यों से आए श्रद्धालु भी कार्यक्रम में शामिल हुए,मौके पर अरदास किया गया,साथ ही पूरे परंपरागत तरीके से सिख श्रद्धालुओं ने दरबार में माथा टेका,इस अवसर पर लंगर का भी आयोजन किया गया था जिसमें श्रद्धालुओं ने लंगर में शामिल होकर प्रसाद ग्रहण किया,आज पूरा दिन गुरु की जयकारों से पूरा गुरुद्वारा गूंजता रहा, इस अवसर पर गुरुद्वारा के ग्रंथी मंजीत सिंह ने बताया गुरु की महिमा की वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं के बीच कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने समाज के कल्याण,आर्थिक और अध्यात्मिक उद्धार के लिए कई रचनात्मक काम किए। उन्होंने दुनिया को प्रेम, एकता और भाईचारे के संदेश दिए थे,आज गुरु तेग बहादुर जी के 400 वें प्रकाश पर्व में आप भी उनके कुछ विचारों से प्रेरणा लेकर सही रास्ते पर चले,उन्होंने कहा कि वह बचपन से ही उदार चित्त,बहादुर, विचारवान स्वभाव के थे।गुरु तेग बहादुर और औरंगजेब के बीच संघर्ष का किस्सा आज भी लोगों के जुबा में है। कहा जाता है कि औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को धर्म परिवर्तन करने का काफी दबाव बनाया था। इसके लिए उन्हें कई तरह की यातनाएं भी दी थी। लेकिन वह उसके सामने बिल्कुल भी नहीं झुकें और अपना जीवन धर्म की रक्षा के लिए न्योछावर कर दिया।उन्होंने कहा कि जो अपने अहंकार को जीतता है और सभी चीजों के एकमात्र द्वार के रूप में भगवान को देखता है।


उस व्यक्ति ने 'जीवन मुक्ति' को प्राप्त किया है, इसे असली सत्य के रूप में जानते हैं।हमें बुराइयों को छोड़कर अच्छे मार्गों पर चलना चाहिए,उन्होंने कहा कि गुरुजी का बलिदान न केवल धर्म पालन के लिए नहीं अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की खातिर बलिदान था।धर्म उनके लिए सांस्कृतिक मूल्यों और जीवन विधान का नाम था। इसलिए धर्म के सत्य शाश्वत मूल्यों के लिए उनका बलि चढ़ जाना वस्तुतः सांस्कृतिक विरासत और इच्छित जीवन विधान के पक्ष में एक परम साहसिक अभियान था।वहीं आततायी शासक की धर्म विरोधी और वैचारिक स्वतन्त्रता का दमन करने वाली नीतियों के विरुद्ध गुरु तेग बहादुरजी का बलिदान एक अभूतपूर्व ऐतिहासिक घटना थी। यह गुरुजी के निर्भय आचरण, धार्मिक अडिगता और नैतिक उदारता का उच्चतम उदाहरण था।गुरुजी मानवीय धर्म एवं वैचारिक स्वतन्त्रता के लिए अपनी महान शहादत देने वाले एक क्रान्तिकारी युग पुरुष थे।उन्होंने कहा कि मुगल शासन के समय में हिंदुओं का काफी उत्पीड़न होता था,मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में लोगों को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया गया था,उस समय उन्होंने गैर-मुसलमानों के इस्लाम में जबरन धर्मांतरण का विरोध किया था,इसके बाद 1675 में दिल्ली में गुरु तेग बहादुर का इस्लाम को अपनाने से इनकार करने के लिए मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर सिर काटकर उनकी हत्या कर दी गई थी,जहां गुरु तेग बहादुर जी ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, उस जगह गुरुद्वारा शीशगंज साहिब बनाया गया, ये गुरुद्वारा दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध इलाके चांदनी चौक में स्थित है,इस अवसर पर सुखविंदर सिंह,छोटे सिंह,गुरविंदर सिंह, लखबीर सिंह,हरविंदर सिंह, हरकोत सिंह,करनाल सिंह, सहित अन्य लोग उपस्थित थे,









 

पर्यटन स्थल राजगीर के गुरु नानक शीतल कुंड प्रांगण में गुरुवार को गुरु तेग बहादुर जी का 400 वां प्रकाश पर्व मनाया गया, देश के कई राज्यों के सिख श्रद्धालु हुए शामिल पर्यटन स्थल राजगीर के गुरु नानक शीतल कुंड प्रांगण में गुरुवार को गुरु तेग बहादुर जी का 400 वां प्रकाश पर्व मनाया गया, देश के कई राज्यों के सिख श्रद्धालु हुए शामिल Reviewed by News Bihar Tak on April 23, 2022 Rating: 5

No comments:

Subscribe Us

Powered by Blogger.