30 नवंबर से राजगीर महोत्सव होगा शुरू,सभी तैयारियां तेजी गति से पूरी की जा रही है,ग्राम श्री मेल, व्यंजन मेल, कृषि मेला का भी होगा आयोजन
राजगीर में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय राजगीर महोत्सव 30 नवंबर से 2 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। संबंधित तैयारीयां में तेजी गति से पूरी की जा रही है। पर्यटन विभाग जिला प्रशासन तैयारी में पूरी तरह से जुड़ा हुआ है।संस्कृति कार्यक्रम का मुख्य पंडाल भी तेजी गति से निर्माण कार्य किया जा रहा है।पंडाल का निर्माण कार्य 28 नवंबर तक पूरी कर ली जाएगी।
वहीं ग्राम श्री मेल, व्यंजन मेल, कृषि मेला, एवं विभिन्न सरकारी योजनाओं से जुड़े प्रदर्शनी के स्टॉल का निर्माण कार्य से संबंधित विभाग के द्वारा किया जा रहा है। वहीं डीएम शशांक शुभंकर लगातार अपने संबंधित पदाधिकारी के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं।और उनके द्वारा संबंधित पदाधिकारी को कई दिशा निर्देश दिया जा रहा है।वहीं कलाकारों का भी चयन कर लिया गया है।सांस्कृतिक कार्यक्रम मुख्य पंडाल में तीन दिन चलेगा लेकिन ग्राम श्री मेल ,व्यंजन मेल, कृषि मेला, 30 नवंबर से लेकर 6 दिसंबर तक रहेगा।वहीं इस महोत्सव का आकर्षण केंद्र कहे जाने वाले पारंपरिक 'तांगा' और 'पालकी' सजावट प्रतियोगिताएं,
पेंटिंग प्रतियोगिताएं और सद्भावना मार्च भी आयोजित किए जाएंगे। वहीं, आयोजन को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए जिला प्रशासन ने कई सेल का भी गठन किया है, जिसकी निगरानी जिले के वरिष्ठ अधिकारी करेंगे। बताते हुए चले कि राजगीर अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव की शुरुआत 1986 में तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन मंत्री एचकेएल भगत और तत्कालीन बिहार के सीएम बिंदेश्वरी दुबे ने सोन भंडार क्षेत्र में की थी। उसके बाद मलमास मेला थाना के पास कुछ वर्षों तक आयोजित होता रहा।और इसमें ज्यादातर अधिकारी और सीमित संख्या में आगंतुक शामिल होते थे।
वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा महोत्सव को ऐसे स्थान पर स्थानांतरित करने की इच्छा व्यक्त करने के बाद, जो सभी के लिए सुलभ हो, इसे 2011 में तत्कालीन नालंदा डीएम संजय कुमार अग्रवाल द्वारा विशाल किला मैदान में लाया गया था।हालाँकि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने संरक्षित किला मैदान के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया,जिसके बाद 2017 में महोत्सव को आरआईसीसी और हॉकी मैदान में स्थानांतरित कर दिया गया।राजगीर महोत्सव इतिहास, धर्म, कला और संस्कृति का एक सुंदर प्रतिनिधित्व है और न केवल बिहार में बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी प्रतिष्ठा है।
इस त्योहार को मनाने की परंपरा 1986 से चली आ रही है और नालंदा और राजगीर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध विरासत को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। राजगीर में मनाए जाने वाले इस तीन दिवसीय उत्सव में प्रसिद्ध गायकों और नर्तकियों की भागीदारी देखी गई है, जो दर्शकों के समान उत्साह के साथ प्रदर्शन करते हैं।हेमा मालिनी संयुक्ता पाणिग्रही, रवींद्र जैन, निदा फाजली,तलत अजीज, ग़ज़ल सम्राट गुलाम अली, बिरजू महाराज, जसविंदर नरूला, अलका याज्ञनिक, पंडित शिवकुमार शर्मा,उदित नारायण, कैलाश खेर , सुखविंदर सिंह,शान, गुरदास मान, पंकज उदास जैसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से इस उत्सव की सुंदरता को बढ़ाया है।परंपरा और विरासत को अक्षुण्ण रखते हुए, उत्सव में नए आयाम जोड़े जा रहे हैं जिससे नालंदा और राजगीर को वैश्विक पर्यटन स्थल पर स्थापित करने में मदद मिली है।
वहीं ग्राम श्री मेल, व्यंजन मेल, कृषि मेला, एवं विभिन्न सरकारी योजनाओं से जुड़े प्रदर्शनी के स्टॉल का निर्माण कार्य से संबंधित विभाग के द्वारा किया जा रहा है। वहीं डीएम शशांक शुभंकर लगातार अपने संबंधित पदाधिकारी के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं।और उनके द्वारा संबंधित पदाधिकारी को कई दिशा निर्देश दिया जा रहा है।वहीं कलाकारों का भी चयन कर लिया गया है।सांस्कृतिक कार्यक्रम मुख्य पंडाल में तीन दिन चलेगा लेकिन ग्राम श्री मेल ,व्यंजन मेल, कृषि मेला, 30 नवंबर से लेकर 6 दिसंबर तक रहेगा।वहीं इस महोत्सव का आकर्षण केंद्र कहे जाने वाले पारंपरिक 'तांगा' और 'पालकी' सजावट प्रतियोगिताएं,
पेंटिंग प्रतियोगिताएं और सद्भावना मार्च भी आयोजित किए जाएंगे। वहीं, आयोजन को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए जिला प्रशासन ने कई सेल का भी गठन किया है, जिसकी निगरानी जिले के वरिष्ठ अधिकारी करेंगे। बताते हुए चले कि राजगीर अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव की शुरुआत 1986 में तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन मंत्री एचकेएल भगत और तत्कालीन बिहार के सीएम बिंदेश्वरी दुबे ने सोन भंडार क्षेत्र में की थी। उसके बाद मलमास मेला थाना के पास कुछ वर्षों तक आयोजित होता रहा।और इसमें ज्यादातर अधिकारी और सीमित संख्या में आगंतुक शामिल होते थे।
वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा महोत्सव को ऐसे स्थान पर स्थानांतरित करने की इच्छा व्यक्त करने के बाद, जो सभी के लिए सुलभ हो, इसे 2011 में तत्कालीन नालंदा डीएम संजय कुमार अग्रवाल द्वारा विशाल किला मैदान में लाया गया था।हालाँकि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने संरक्षित किला मैदान के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया,जिसके बाद 2017 में महोत्सव को आरआईसीसी और हॉकी मैदान में स्थानांतरित कर दिया गया।राजगीर महोत्सव इतिहास, धर्म, कला और संस्कृति का एक सुंदर प्रतिनिधित्व है और न केवल बिहार में बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी प्रतिष्ठा है।
इस त्योहार को मनाने की परंपरा 1986 से चली आ रही है और नालंदा और राजगीर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध विरासत को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। राजगीर में मनाए जाने वाले इस तीन दिवसीय उत्सव में प्रसिद्ध गायकों और नर्तकियों की भागीदारी देखी गई है, जो दर्शकों के समान उत्साह के साथ प्रदर्शन करते हैं।हेमा मालिनी संयुक्ता पाणिग्रही, रवींद्र जैन, निदा फाजली,तलत अजीज, ग़ज़ल सम्राट गुलाम अली, बिरजू महाराज, जसविंदर नरूला, अलका याज्ञनिक, पंडित शिवकुमार शर्मा,उदित नारायण, कैलाश खेर , सुखविंदर सिंह,शान, गुरदास मान, पंकज उदास जैसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से इस उत्सव की सुंदरता को बढ़ाया है।परंपरा और विरासत को अक्षुण्ण रखते हुए, उत्सव में नए आयाम जोड़े जा रहे हैं जिससे नालंदा और राजगीर को वैश्विक पर्यटन स्थल पर स्थापित करने में मदद मिली है।
30 नवंबर से राजगीर महोत्सव होगा शुरू,सभी तैयारियां तेजी गति से पूरी की जा रही है,ग्राम श्री मेल, व्यंजन मेल, कृषि मेला का भी होगा आयोजन
Reviewed by News Bihar Tak
on
November 27, 2023
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