तीन दिवसीय राजगीर में श्री गुरु नानक देव जी महाराज का 555 वां प्रकाश पर्व का हुआ समापन,सुमित कलसी ने कहा : भारत की पावन भूमि पर कई संत-महात्मा अवतरित हुए हैं
पर्यटन स्थल राजगीर में आयोजित श्री गुरु नानक देव जी महाराज का 555 वां प्रकाश पर्व के अंतिम दिन गुरु नानक शीतल कुंड प्रांगण गुरु का भजन नानक आया , नानक आया मंगल गाओ मंगल गाओ 555 वां गुरुनानक देव जी के नाल भजन से राजगीर पंच पहाडियां गुंज उठी।वहीं पंजाब ,हरियाणा ,दिल्ली , मुंबई , पुणे , कोलकाता ,चेन्नई ,हरियाणा ,राजस्थान , अमृतसर , जयपुर ,आगरा ,झारखंड ,छत्तीसगढ , सहीत अन्य राज्यों से भारी संख्या में सिख श्रद्धालु शामिल हुए।सीख श्रद्धालु दरबार में माथा टेका और लंगर में प्रसाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर प्रबंधक सुमित कलसी ने कहा कि भारत की पावन भूमि पर कई संत-महात्मा अवतरित हुए हैं, जिन्होंने धर्म से विमुख सामान्य मनुष्य में अध्यात्म की चेतना जागृत कर उसका नाता ईश्वरीय मार्ग से जोड़ा है। ऐसे ही एक अलौकिक अवतार गुरु नानकदेव जी हैं।
ऊंच-नीच का विरोध करते हुए गुरु नानकदेव अपनी मुखवाणी 'जपुजी साहिब' में कहते हैं कि 'नानक उत्तम-नीच न कोई' जिसका भावार्थ है कि ईश्वर की निगाह में छोटा-बड़ा कोई नहीं फिर भी अगर कोई व्यक्ति अपने आपको उस प्रभु की निगाह में छोटा समझे तो ईश्वर उस व्यक्ति के हर समय साथ है।
यह तभी हो सकता है जब व्यक्ति ईश्वर के नाम द्वारा अपना अहंकार दूर कर लेता है। तब व्यक्ति ईश्वर की निगाह में सबसे बड़ा है और उसके समान कोई नहीं।उन्होंने कहा कि समाज में समानता का नारा देने के लिए नानक देव ने कहा कि ईश्वर हमारा पिता है और हम सब उसके बच्चे हैं और पिता की निगाह में छोटा-बड़ा कोई नहीं होता।
वही हमें पैदा करता है और हमारे पेट भरने के लिए खाना भेजता है। इस अवसर पर मुख्य कथा वाचक भाई सुखदेव सिंह ने कहा की गुरु नानकदेवजी के बताए रास्ते पर चलने के लिए नानकदेवजी ने अपना पूरा जीवन समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में समर्पित कर दिया।भगवान एक है।एक ही गुरु है और कोई नहीं। जहां गुरु जाते हैं, वह स्थान पवित्र हो जाता है।
उन्होंने कहा कि यह श्री गुरु नानक देव जी महाराज का 555 वां में प्रकाश पर्व का आयोजन किया गया जो राजगीर के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी ने दुनिया को 'नाम जपो, किरत करो, वंड छको' का संदेश देकर समाज में भाईचारक सांझ को मजबूत किया और एक नए युग की शुरुआत की।
सामाजिक कुरीतियों का विरोध करके उन्होंने समाज को नई सोच और दिशा दी। गुरु जी ने ही समाज में व्याप्त ऊंच-नीच की बुराई को खत्म करने और भाईचारक सांझ के प्रतीक के रूप में सबसे पहले लंगर की शुरुआत की।इस अवसर पर बाबा बेअंत सिंह गुरु जी की बाणी और उनकी शिक्षाओं से संगत को निहाल किया जाता है। गुरु नानक नाम लेवा संगत उन्हें बाबा नानक और नानकशाह फकीर भी कहती है।गुरु नानक देव जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया। उन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी जाकर लोगों को पाखंडवाद से दूर रहने की शिक्षा दी। गुरु जी के जन्मदिवस को गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है।
श्री ननकाणा साहिब में प्रसिद्ध गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब भी है।इसका निर्णाण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था।उन्होंने कहा कि सिखों के पहले गुरु नानकदेवजी की जयंती देशभर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। प्रकाश पर्व यानी मन की बुराइयों को दूर कर उसे सत्य,ईमानदारी और सेवाभाव से प्रकाशित करना।इस अवसर पर बाबा सुखदेव सिंह ने कहा कि गुरु की महिमा का व्याख्यान करते हुए कहा की गुरु नानक देव केवल सिख धर्म के संस्थापक ही नहीं, बल्कि मानव धर्म के उत्थापक हैं. वे केवल सिखों के आदि गुरु नहीं, बल्कि संपूर्ण मानव समाज के गुरु हैं,वे भारत की वैभवशाली और विश्व-बन्धुत्व की समृद्ध परंपरा के अद्वितीय प्रतीक हैं. उनके व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधुत्व आदि समस्त गुणों के दर्शन हो जाते हैं।
उनकी शिक्षाएं और विचार सदैव मानवता की सेवा के लिए प्रेरित करती है।उन्होंने कहा कि बचपन से प्रखर बुद्धि के धनी गुरुनानक देव वैसे विकट समय में जन्म लिये थे, जब भारत में कोई केंद्रीय संगठित शक्ति नहीं थी. विदेशी आक्रमणकारी देश को लूटने में लगे थे,धर्म के नाम पर अंधविश्वास और कर्मकांड चारों तरफ फैला हुआ था,उस समय गुरु नानक देव ने अपने विचारों और दर्शन से समाज को सही मार्ग दिखा कर एकसूत्र में पिरोया था, उन्होंने अपनी सुमधुर सरल वाणी से जनमानस के हृदय को जीत लिया था,लोगों को सरल भाषा में केवल गुरुवाणी का संदेश ही नहीं बल्कि विश्व बंधुत्व का पैगाम भी उन्होंने दिया,नानक देव जी ने कहा था कि ईश्वर सबके पिता हैं,
फिर एक पिता की संतान होने के बावजूद हम ऊंच-नीच कैसे हो सकते हैं,इन्हीं सभी भ्रांतियों को दूर करने के लिए उन्होंने उपदेशों को अपने जीवन में अमल किया और चारों ओर धर्म का प्रचार कर स्वयं एक आदर्श बने,उन्होंने सामाजिक सद्भाव की मिसाल कायम की,उनहोंने कहा कि गुरुनानक देव जी ने ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाने के लिए लंगर की परंपरा शुरू की थी,लंगर में छूत- अछूत सभी जाति - वर्ग के लोग एक साथ बैठकर लंगर छकते हैं, उसी परंपरा के तहत सभी गुरुद्वारों में लंगर की व्यवस्था होती है,लंगर में बिना भेदभाव संगत सेवा होती है,
उनहोंने कहा कि गुरु नानक देव ने भारत के अलावे कई देशों की यात्राएं कर धार्मिक एकता के उपदेशों और शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर दुनिया को जीवन का नया मार्ग बताया। पांच सौ पचास वर्ष पूर्व दिए उनके उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं. उनका संदेश देश-दुनिया में मानवता को आलोकित कर रहा है।इस अवसर प्रबंधक सुमित कलसी, ग्रंथि मनजीत सिंह,
प्रबंधक प्रभाष साह,गुरुनानक मिशनरी सेंटर राजगीर के सचिव त्रिलोक सिंह निषाद,गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार जगजोत सिंह,उपाध्यक्ष लखविंदर सिंह,उपाध्यक्ष गुरविंदर सिंह,महासचिव सरदार इंद्रजीत सिंह,सचिव सरदार हरबंस सिंह,सदस्य सरदार राजा सिंह,पूर्व महासचिव सदस्य सरदार महेंद्र पाल सिंह ढिल्लों,भाई गुरविंदर सिंह,भाई राम अवतार सिंह,सरदार बंटी सिंह,छोटे सिंह,लखविंदर सिंह,शुखविन्द् सिंह,खुशविंदर सिंह,राजन सिंह,चरणजीत सिंह, अमनदीप सिंह,अमुजेश कुमार,बृजेश सिंह,संजय सिंह,नीतिश सिंह इंद्रजीत सिंह, लखविंदर सिंह सुखवीर सिंह,हरजीत सिंह जी ,सुरजीत सिंह, परपाल सिंह जहौल,जसवीर सिंह ,मत्तेवाल, जत्थेदार भूपेन्द्र सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित थे
तीन दिवसीय राजगीर में श्री गुरु नानक देव जी महाराज का 555 वां प्रकाश पर्व का हुआ समापन,सुमित कलसी ने कहा : भारत की पावन भूमि पर कई संत-महात्मा अवतरित हुए हैं
Reviewed by News Bihar Tak
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November 24, 2023
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