गुजरात से आए द्वारका पीठाधीश स्वामी केशवानंद जी महाराज के द्वारा पूरे विधि-विधान और परंपराओं के साथ कैलाश दशम पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी विद्यानंद गिरी जी महाराज का मूर्ति का किया अनावरण ,कई राज्यों से आए साधु, संत ,मठाधीश भी हुए शामिल
गुजरात से आए द्वारका पीठाधीश स्वामी केशवानंद जी महाराज के द्वारा पूरे विधि-विधान और परंपराओं के साथ कैलाश दशम पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी विद्यानंद गिरी जी महाराज का मूर्ति का किया अनावरण ,कई राज्यों से आए साधु, संत ,मठाधीश भी हुए शामिल
राजगीर।।
पर्यटन स्थल राजगीर के कैलाश आश्रम में कैलाश दशम पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी विद्यानंद गिरी जी महाराज का जन्म शताब्दी महोत्सव मनाया जा रहा है,और इस अवसर पर कैलाश आश्रम प्रांगण में गुजरात,दिल्ली,हरिद्वार,द्वारका,मथुरा,ऋषिकेश,ऋषिके,बनारस , झारखंड, साथी बिहार के कई जिलों से पृष्ठ संख्या में पहुंचे साधु संत मठाधीशो के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पूजा अर्चना किया गया।
उसके बाद गुजरात से आए द्वारका पीठाधीश स्वामी केशवानंद जी महाराज के द्वारा पूरे विधि-विधान और परंपराओं के साथ कैलाश दशम पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी विद्यानंद गिरी जी महाराज का मूर्ति का अनावरण किया।इस अवसर पर हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन करते हुए द्वारका पीठाधीश स्वामी केशवानंद जी महाराज ने कहा की राजगीर अति पवित्र भूमि है,राजगीर का इतिहास आदिकाल से जुड़ा हुआ है।महिमा स्थान की होती है,उन्होंने कहा कि लोग दूसरे से प्रेम करें लोगो को मदत करे, पहले लोगो की मदद के लिए धर्मशाला ,कुआं का निर्माण कराया जाता था ,पर आज लोग धर्मशाला का निर्माण नहीं करते हैं लोग होटल का निर्माण करते हैं,उन्होंने कहा कि भारत ऋषि-मुनियों का देश है, कैलाश आश्रम विश्व भर में प्रकाश की तरफ फैल रहा है, जितना कैलाश आश्रम में साधु संत रहते हैं उतना कहीं नहीं रहते हैं।हम लोग गुरु के बताए रास्तों पर चलते हैं,गुरु और शिष्य की परंपराओं का निर्वहन किया जाता है,उन्होंने कहा कि कथा की सार्थकता तब सिद्ध होती है जब उसे अपने जीवन में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते करें।उन्होंने कहा कि श्रीमदभागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है।उन्होंने कहा कि गुरु की कृपा से ही उनकी प्रतिमा का अनावरण हुआ है।
इस अवसर पर कैलाश आश्रम के मठाधीश महंत ब्रहमचारी बालानंद जी महाराज ने कहा की सभी उद्देश्यों, सभी इच्छाओं, सभी लीलाओं, क्रियाओं, सभी व्यवस्थाओं को संत जन समाज कल्याण के लिए प्रयुक्त करते हैं।संत स्वयं को केवल समाज के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए, केवल मानवता के लिए ही नहीं, अपितु संपूर्ण प्राणियों के लिए समर्पित कर सबके विकास को गति देते हैं।उन्होने कहा की जो ईश्वर की भावनाएं होती हैं, जो ईश्वर की स्थापनाएं होती हैं, जो ईश्वर के सारे उद्देश्य होते हैं, ईश्वर जिन भावनाओं से जुड़ा होता है, जिन गुणों से जुड़ा होता है, जिन अच्छाइयों से जुड़ा होता है, वो सब संतों में होती हैं।संत के जीवन में समाज भी यही खोजता है कि संत में लोभ नहीं हो, कामना-हीनता हो।इस अवसर पर स्वामी उत्मानंद जी महाराज ने कहा कि गुरु भक्ति एक साधक को अन्धकार से ज्ञान रुपी प्रकाशमान संसार में ले जाती हैं,समाज के पथ प्रदर्शन एवं प्रगति में गुरुओं का बड़ा महत्व हैं। सच्ची गुरु भक्ती व्यक्ति के सभी उद्देश्यों को पूर्ण करवाती हैं,इस अवसर पर भंडारा का आयोजन किया गया जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर प्रसाद ग्रहण किए।
इस अवसर पर प्राचीन झुनकी मंदिर के महंत सह मगध महामंडलेश्वर अंतर्यामी शरण जी महाराज, स्वामी प्रकाशानंद जी महाराज, स्वामी दयानंद जी महाराज, स्वामी गोविंद आनंद जी महाराज, स्वामी अचुतानंद जी महाराज, राजा राम सिंह, स्वामी सुरेशानंद जी महाराज, स्वामी बुद्ध देवानंद जी महाराज, स्वामी जगदीशा जी महाराज, स्वामी उत्तमानंद जी महाराज, स्वामी बहूदेवानंद जी महाराज, स्वामी हरीहंस जी महाराज, स्वामी विन्यानंद जी महाराज, अर्जुन ब्रह्मचारी,हनुमानगढ़ी के महंत राम कुमार दास,गोपाल धाम के महंत सनातन स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार, भाजपा के जिला अध्यक्ष प्रोफेसर रामसागर सिंह,श्याम किशोर प्रसाद,सकलदेव वात्सायन, राम पदारथ कश्यप, रती कांत झा राम आशीष कश्यप सुरेंद्र प्रसाद सिंह अनिल सिंह पवन कुमार,कारु सिंह, सुधीर सिंह, मुखिया मंजू देवी,उमराव प्रसाद निर्मल,सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
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