नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने लोकसभा के शुन्यकाल के तहत पर्यटन स्थल राजगीर स्थिति जरासंध अखाड़ा का मामला उठाया,सांसद ने कहा: हमारी धरोहर और गौरवशाली इतिहास की उपेक्षा एएसआई द्वारा की जा रही है
नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने लोकसभा के शुन्यकाल के तहत पर्यटन स्थल राजगीर स्थिति जरासंध अखाड़ा का मामला उठाया,सांसद ने कहा: हमारी धरोहर और गौरवशाली इतिहास की उपेक्षा एएसआई द्वारा की जा रही है
राजगीर।।
नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने लोकसभा के शुन्यकाल के तहत पर्यटन स्थल राजगीर स्थिति जरासंध अखाड़ा का मामला उठाते हुए कहा कि नालंदा स्थित राजगीर भारतीय इतिहास का गौरव है।आज के युवाओं और शोधकर्ताओं के लिए एक अजूबा स्थान है।राजगीर और नालंदा के सभी इतिहासिक और महत्वपूर्ण स्थलों में एक जरासंध का आखाडा अपना अलग ही पहचान और स्थान रखता है।सांसद ने कहा कि राजगीर में कुश्ती का इतिहास बहुत पुराना है। द्वापरकाल से यंहा इसका इतिहास मिलता है।मगध सम्राट इसी अखाडा में खुद दांव अजमाते थे।इसी अखाड़े में मगध सम्राट समेत एक से बढ़कर अनेक योद्धाओं ने दांव अजमाया है।द्वापर काल में महाभारत शुरू होने से पहले जरासंघ और कुन्ती पुत्र भीम के बीच 28 दिनों तक मल -युद्ध हुआ था।
इसकी चर्चा धर्म ग्रंथों में भी मिलता है।अखाडे की कहानी भी काफी रोचक है।इस अखाड़े को उन दिनों दूध से पटाया जाता था।जिससे इसकी मिट्टी आज भी भुरभुरी है।मकर सक्रांति और राजगीर महोत्सव के मौके पर हर साल कुश्ती का आयोजन होते आ रहा है।इसमें कई राज्यों के पहलवान अपना दांव लगाने के लिए आते हैं।यह देश ही नहीं बल्कि दुनिया के दुर्लभ अखाडों में से एक है। सांसद ने कहा कि देश-विदेश के सैलानियों के लिए यह स्थल कौतुहल से परिपूर्ण है।वे इसकी गौरव गाथा जानकर खुश होते हैं।और द्वापरकाल से रूबरू होते हैं। किंतु दुर्भाग्य और खेद के साथ मैं कहना चाहता हूं कि इस अखाड़े की वर्तमान स्थिति काफी दयनीय है।यह एक टीला मात्र रह गया है। हमारी धरोहर और गौरवशाली इतिहास की उपेक्षा एएसआई द्वारा की जा रही है।एएसआई को ऐसे गौरवमयी धरोहरों और ऐतिहासिक स्थलों के रखरखाव की जिम्मेदारी समझनी होगी।
सांसद ने गौरवशाली जरासंध अखाडे की व्यथा व दुर्दशा और इसके महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार से मांग किया कि इसके विकास के कार्यक्रम को जल्द से जल्द राज्य सरकार के सहयोग से तैयार किया जाये। बताते हुए चले कि संसद के इस पहल के बाद राजगीर के लोगों में काफी खुशी है राजगीर के लोगों के द्वारा लगातार मांग की जा रही थी कि जरासंध का अखाड़ा संरक्षण प्रदान किया जाए उसका विकास किया जाए और विशेष रूप से उसे पर्यटन से जोड़ा जाए। अभी मौजूदा समय में पुरातत्व विभाग की लापरवाही के कारन आज यह खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है।विभाग के द्वारा इसका कोई देख -रेख नहीं किया जाता है।
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