राजगीर के वैभारगिरी पर्वत पर स्थित महाभारतकालीन बाबा सिद्धनाथ मंदिर मे जलाभिषेक को लेकर श्रद्धालुओं की उमड़ी काफी भीड़

राजगीर के वैभारगिरी पर्वत पर स्थित महाभारतकालीन बाबा सिद्धनाथ मंदिर मे जलाभिषेक को लेकर श्रद्धालुओं की उमड़ी काफी भीड़


राजगीर।। 

पर्यटन स्थल राजगीर के वैभारगिरी पर्वत पर स्थित इतीहासीक पौराणीक महाभारतकालीन बाबा सोमनाथ सिद्धनाथ मंदिर मे जलाभिषेक को लेकर श्रावण के दुसरा सोमवारी के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।जहाँ हजारों की संख्या में लोगों ने इस मंदिर के शिवलिंग पर जल अर्पित किया।यहां दिन भर दूरदराज के क्षेत्रों से आये शिव भक्त श्रद्धालुओं की अपार भीड़ बनी रही।वही बाबा धाम से लौटने वाले कांवरियों ने इस मंदिर में पूजा अर्चना की। बाबा सिद्धनाथ मंदिर में कफी संख्या में भक्त श्रद्धालुओं ने गर्म कुंड के झरने में स्नान कर भोले शंकर पर जला अभिषेक और पुरे भक्तिभाव वातावरण मे पुजा अर्चणा किया।


सुबह 3:00 बजे से ही वैभारगीरी पर्वत पर जाने के लिए भक्तजनों का ताता लगा रहा।वहीं गढ महादेव , हनुमान गढी , कैलास आश्रम ,बडी संगत ,सुर्य मंदीर स्थीत शिव मंदीर ,झुनकिया बाबा मंदिर,गड़ महादेव मंदिर, कैलाश आश्रम, मां देवी स्थान ,पंचशील दुर्गा स्थान ,सहीत मठ मदिरो के साथ ग्रामीण झेत्रो मे भी शिव का आराधना लोग आज पुरा दिन करते रहे और सुबह से ही भोले शंकर की जयकार एवं बोलवंम कि नारों से गुंजता रहा,

वही ग्रामीण क्षेत्रो मे भी लोग मंदीरो मे पुजा अर्चणा पुरा दिन होता रहा।इस अवसर पर पंडीत स्वामी सालीग्रामा आचार्य ने कहा की आज तीसरी सोमवारी है.। कथाओं के मुताबिक सावन के महीने में हर सोमवारी को देवी देवताओं का समुद्र मंथन हुआ था।जिसमे कुछ बहुमूल्य रत्नों की प्राप्ति हुई थी,कहा जाता है तीसरी सोमवारी को कोस्तुव मणि की प्राप्ति हुई थी और कौस्तुव मणि को भगवान बिष्णु के पास हृदय में स्थान दिया गया था।कहा जाता है कि आज का दिन भक्तों को ऐश्वर्यावान,धनवान, ऊर्जावान और शुख शांति प्रदान करता है।अतः आज के दिन शिव की पूजा अर्चना करने से भक्तो के जीवन से दुःख दूर हो जाते है, आज शिव को गंगा जल चढ़ाने से मनुष्य का जीवन दुःख विहीन हो जाता है ।उन्होने कहा भगवान शिव और माता पार्वती की एकसाथ पूजा करने पर आपके वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी नहीं होती है। शिवपुराण में बताया गया है कि सावन के महीने में ही भगवान शिव ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर पत्नी रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था।उन्होंने यह भी कहा था जो भी भक्त सच्चे मन से सावन के महीने में संसार की भलाई के लिए पूजा करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं मैं पूरी करूंगा।उन्होने कहा की इस दिन आप भगवान शिव के तीनों स्वरूप नील कंठ, नटराज और महामृत्युंजय की पूजा और उपासना करें। साथ ही इनका जप करें। इनके स्वरुप से शत्रु, षडयंत्र, तंत्रमंत्र आदि का असर नहीं होता।

इनसे आपको ज्ञान, कला, संगीत, अभिनय के क्षेत्र में सफलता मिलती है। इस दिन आप शिवलिंग पर बेलपत्र या फिर गन्ने का जूसर, सफेद फूल और जलधारा अर्पित करें।उन्होने कहा की सावन का तीसरे सोमवार के दिन महान शिव योग के साथ पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र है, इस दिन मधुस्रावणी पर्व भी है जिसे सौभाग्य कारक माना गया है। माना जाता है कि शिवयोग में शिव की पूजा से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं।शिवयोग अर्थात देवों के देव महादेव का योग।यह योग केवल साधुओं के लिए ही नहीं अपितु इससे मनुष्य को भी बेहद लाभ होता है

शिवयोग को वामयोग या तंत्र के नाम से भी जाना जाता है। शिवयोग में पूजा करने का अर्थ है अनंत के साथ विलय हो जाना अर्थात भगवान के साथ हो जाना। इस योग में पूजा करने से जीवन में कभी किसी चीज की समस्या नहीं होती।


 

राजगीर के वैभारगिरी पर्वत पर स्थित महाभारतकालीन बाबा सिद्धनाथ मंदिर मे जलाभिषेक को लेकर श्रद्धालुओं की उमड़ी काफी भीड़ राजगीर के वैभारगिरी पर्वत पर स्थित महाभारतकालीन बाबा सिद्धनाथ मंदिर मे जलाभिषेक को लेकर श्रद्धालुओं की उमड़ी काफी भीड़ Reviewed by News Bihar Tak on July 25, 2022 Rating: 5

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