नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्विद्यालय और इंडिया फाउडेशन द्वारा आयोजित छठा धर्म धम्म सम्मेलन का उद्घाटन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने किया, उपराष्ट्रपति ने कहा: दूसरों का ध्यान रखना तथा दूसरों के साथ मिलकर रहना ही हिंदुस्तान की परंपरा है।नालंदा पहले भी विश्व गुरु कहलाता था और आज भी उस ओर अग्रसर है

नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्विद्यालय और इंडिया फाउडेशन द्वारा आयोजित छठा धर्म धम्म सम्मेलन का उद्घाटन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने किया, उपराष्ट्रपति ने कहा: दूसरों का ध्यान रखना तथा दूसरों के साथ मिलकर रहना ही हिंदुस्तान की परंपरा है।नालंदा पहले भी विश्व गुरु कहलाता था और आज भी उस ओर अग्रसर है


राजगीर।।

नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्विद्यालय और इंडिया फाउडेशन द्वारा आयोजित छठा धर्म धम्म सम्मेलन का उद्घाटन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने किया,इस अवसर पर  राज्यपाल फागू चौहान,मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,श्रीलंका के केंद्रीय ट्रांसपोर्ट मंत्री पवित्रा वन्नियाराच्ची शामिल हुए।इस अवसर पर धर्म धम्म सम्मेलन आयोजित करने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय तथा इंडिया फाउंडेशन को बधाई दिया।


उन्होंने कहा कि यह धर्म धम्म सम्मेलन कोविड के बाद लोगों के टेंशन को दूर करने के लिए,खुश रहने के लिए तथा मानव कल्याण के मार्ग ढूढने के लिए है।उन्होंने कहा कि शांति से विकास का मार्ग प्रशस्त होता है,इसलिए हमें सद्भावना एवं विश्व शान्ति की बात करनी चाहिए।धर्म धम्म सम्मेलन नालंदा विश्वविद्यालय के पुराने ख्याति को प्राप्त करने के लिए तथा छात्रों को सिर्फ ज्ञान ही नहीं बल्कि बुद्धिमान बनाने के लिए भी समर्पित है।उन्होंने कहा कि दूसरों का ध्यान रखना तथा दूसरों के साथ मिलकर रहना ही हिंदुस्तान की परंपरा है।नालंदा पहले भी विश्व गुरु कहलाता था और आज भी उस ओर अग्रसर है।उन्होंने कहा कि नेचर और कल्चर मिलकर  ही बेहतर भविष्य बनाता है।उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय धर्म धम्म सम्मेलन में 150 से अधिक देश-विदेश के विद्वान अपने शोध पत्र को समर्पित कर चर्चा करेंगे।

इस अवसर पर इस अवसर पर राज्यपाल फागू चौहान ने कहा की कोविड के बाद यह अंतरराष्ट्रीय धर्म धम्म सम्मेलन हो रहा है यह काफी खुशी की बात है।नालंदा प्राचीन काल से ज्ञान का रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना हुआ है। विश्व विद्यालय गौरवशाली का अतीत हासिल कर रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय ज्ञान के महत्त्व से दुनिया को जोड़ने का महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कोवीड महामारी प्राकृतिक न होकर मानव कृत है और इसका उपाय इस धर्म धम्म सम्मेलन में ढूंढा जाना चाहिए।उन्होंने टीकाकरण में बिहार तथा भारत की उपलब्धि का जिक्र किया।उन्होंने कहा की नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्विद्यालय विशेष प्रकार का विश्वविद्यालय है।उन्होंने भगवान बुद्ध,भगवान महावीर,सूफी संत मखदूम साह तथा गुरुनानक देव जी का राजगीर से संबंध की बात बताई तथा राजगीर को एक न केवल पौराणिक बल्कि पवित्र स्थल भी बताया।राजगीर के मलमास मेले का भी जिक्र उन्होंने किया।

उन्होंने कहा की धर्म धम्म सम्मेलन में मानवता के कल्याण के उपाय ढूंढ ने की जरूरत है।इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह के द्वारा स्वागत भाषण दिया गया।उन्होंने कोविड़ के बाद उभरे आर्थिक एवं सामाजिक आइसोलेशन पर प्रकाश डाला तथा इसे दूर करने के लिए बुद्ध के मध्यम पथ तथा वेद के पथ को अपनाने की बात कही।बुद्ध के अस्तांगिक मार्ग अपना कर ही विश्व शांति की स्थापना की जा सकने की बात बताई।धम्म और वेद के पुरुषार्थ को मिलाकर सामाजिक संतुलन बनाने की बात कही।उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय में की जा रही ऊर्जा बचत,कार्बन उत्सर्जन में कमी के कार्यों की भी चर्चा की।

उन्होंने बताया की अभी यहां 30 देशों के विद्यार्थी पठन-पाठन कर रहे हैं।यजुर्वेद के सूक्त के साथ उन्होंने स्वागत भाषण को विराम दिया। इस अवसर पर श्रीलंका से केंद्रीय ट्रांसपोर्ट मंत्री पवित्रा वन्नियाराच्ची ने धम्म को विश्व के निरंतर विकास के लिए आवश्यक बताया। पुराने नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर स्थापित नए विश्वविद्यालय की उन्होंने काफी सराहना की।उन्होंने स्वस्थ को सबसे बड़ा धन बताया। इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, सांसद कौशलेंद्र कुमार कमिश्नर संजय कुमार अग्रवाल, डीएम योगेंद्र सिंह एसपी हरिप्रसाद सहीत अन्य लोग उपस्थित थे। 

 

नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्विद्यालय और इंडिया फाउडेशन द्वारा आयोजित छठा धर्म धम्म सम्मेलन का उद्घाटन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने किया, उपराष्ट्रपति ने कहा: दूसरों का ध्यान रखना तथा दूसरों के साथ मिलकर रहना ही हिंदुस्तान की परंपरा है।नालंदा पहले भी विश्व गुरु कहलाता था और आज भी उस ओर अग्रसर है नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्विद्यालय और इंडिया फाउडेशन द्वारा आयोजित छठा धर्म धम्म सम्मेलन का उद्घाटन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने किया, उपराष्ट्रपति ने कहा: दूसरों का ध्यान रखना तथा दूसरों के साथ मिलकर रहना ही हिंदुस्तान की परंपरा है।नालंदा पहले भी विश्व गुरु कहलाता था और आज भी उस ओर अग्रसर है Reviewed by News Bihar Tak on November 07, 2021 Rating: 5

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