कोरोना वैक्सीनेशन का जश्न:100 करोड़ लोगों को टीके लग गए तो तिरंगी रोशनी से चमक उठा -विश्व धरोहर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का भग्नावशेष,पहली बार रंगीन लाइटों से सजाया गया,देखने के लिए उमड़ी भीड़
कोरोना वैक्सीनेशन का जश्न:100 करोड़ लोगों को टीके लग गए तो तिरंगी रोशनी से चमक उठा -विश्व धरोहर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का भग्नावशेष,पहली बार रंगीन लाइटों से सजाया गया,देखने के लिए उमड़ी भीड़
नालंदा।।
देश में कोरोना वैक्सीन लेने वालों की संख्या 100 करोड़ पार कर रहा है,इस उपलक्ष्य में पहली बार विश्व धरोहर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का भग्नावशेष को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया है,जो देखने में काफी आकर्षक और सुंदर लग रहा है, लोग इसे देखने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं,मिली जानकारी के अनुसार100 करोड़ वैक्सीनेशन के उपलक्ष्य में देशभर के 100 विश्व धरोहरों को रंग-बिरंगी लाइटों से जगमग किया गया है,इनमें एक विश्व धरोहर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का भग्नावशेष भी शामिल है,
स्थानीय लोगों ने बताया कि पहली बार इस तरह से विश्व धरोहर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का भग्नावशेष कोरंगबिरंगी लाइटों से सजाया गया है जो काफी सुंदर और आकर्षक दिख रहा है,शिक्षा के मामले में आज भले ही भारत दुनिया के कई देशों से पीछे है, लेकिन एक समय था,जब भारत शिक्षा का केंद्र हुआ करता था। भारत में ही दुनिया का पहला विश्वविद्यालय खुला था,जिसे नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है।
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल के दौरान पांचवीं सदी में हुई थी, नालंदा में स्थित इस विश्वविद्यालय में दुनिया के कई देशों से छात्र पढ़ने आते थे।इस विश्वविद्यालय में करीब 10 हजार छात्र पढ़ते थे, यहां करीब दो हजार शिक्षक पढ़ाते थे। इस विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम (450-470) ने की थी। इस विश्वविद्यालय को नौवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थी, लेकिन अब यह एक खंडहर बनकर रह चुका है, जहां दुनियाभर से लोग घूमने के लिए आते हैं।और इसके इतिहास से रूबरू होते हैं,
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