राजगीर स्थीत विरायतन में राष्ट्रसंत उपाध्याय श्री अमरमुनि जी का 118 वां जन्म उत्सव मनाया गया,राष्ट्रसंत उपाध्याय श्री अमरमुनि जी वीरायतन की स्थापना के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं

राजगीर स्थीत विरायतन में राष्ट्रसंत उपाध्याय श्री अमरमुनि जी का 118 वां जन्म उत्सव मनाया गया,राष्ट्रसंत उपाध्याय श्री अमरमुनि जी वीरायतन की स्थापना के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं


राजगीर।।

राजगीर स्थीत विरायतन में राष्ट्रसंत उपाध्याय श्री अमरमुनि जी का 118 वां जन्म उत्सव मनाया गया।इस अवसर पर प्रबंधक अंजनी कुमार ने बताया कि राष्ट्रसंत उपाध्याय श्री अमरमुनि जी वीरायतन की स्थापना के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं।और उनका जन्मदिन बड़े ही धूम-धाम से वीरायतन सहीत देश के कई स्थानों पर मनाया गया है।राजगीर तो उनकी 1962 से ही तप, जप, ज्ञान, ध्यान, साधना की भूमि रही है I उनके द्वारा ही नामांकित 'वीरायतन' की इस प्रभु महावीर की समवशरण भूमि में, उनकी ही प्राज्ञ कर्मठ और प्रभु के प्रति समर्पित सुविख्यात शिष्या श्रद्धेय आचार्य श्री चंदनाश्रीजी ताई माँ की हार्दिक भावनाओं से भींगा118 वां जमोत्सव अत्यंत श्रद्धा-भक्ति और भावों से मनाया।उत्सव कार्यक्रम वर्चुअल होने से देश-विदेश के अनेक भावुक भक्त इसमें सम्मिलित हो सके।


वीरायतन कार्यालय, भोजनालय, कृपानिधि, नेत्र ज्योति सेवा मन्दिरम्, श्री ब्राह्मी कला मन्दिरम् आदि स्थानों के प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक साधक, प्रत्येक कर्मयोगी ने भावपूर्वक भाग लिया।सर्वप्रथम कार्यक्रम की शुरुआत पालीताणा से साध्वीश्री संघमित्रा जी ने मंगलाचरण एवं गुरुभक्ति गीत से की तदन्तर उपाध्याय साध्वी श्री यशा जी ने भक्ति पूर्वक अपने भाव व्यक्त किये।तदन्तर श्रद्धेय आचार्य ताई माँ ने गुरुदेव के जीवन के जीवन पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा, 'वह ऐसी विलक्षण विभूति थी कि जिनका बचपन स्कूल में नहीं किन्तु प्रकृति के सान्निध्य में गुजरा। पिता कृषक थे और माँ एक धार्मिक कर्त्तव्य परायण गृहस्वामिनी थी।खेतों खलिहानों में खेलनेवाले इस बालक ने अपनी तीव्र जिज्ञासावृत्ति और अथाह पुरुषार्थ से वह ऊंचाई पायी कि वे समाज के लिए एक प्रेरक प्रकाश बन गये।आज भी उनका साहित्य बच्चों से लेकर हर पाठक, विद्वान, लेखक, प्रवचनकार शोधकर्त्ता, मनीषी सबके लिए आदर्श स्वरूप है।उन्होंने देश की आजादी के लिए गाँधी जी के साथ काम किया।उन्होंने जैन समाज की एकता के लिए काम किया।प्रभु महावीर की पच्चीसवीं निर्वाण शताब्दी पर वीरायतन की प्रतिष्ठा स्थापित की। उनका जितना विस्तृत ज्ञान था उतना ही विशाल उनका ह्रदय था I

वे गरीब-श्रीमन्त, छोटे-बड़े सबके लिए समान रुप से प्रेम-स्नेह और आशीर्वाद प्रदान करते थे।इस अवसर पर मौजूद प्रवक्ताओं ने अपने-अपने उदगार पूज्य गुरुदेव जी के लिए प्रकट किये और उनके जीवन की सार्थकता से उपस्थित लोगों को अवगत कराया ।आज के इस जन्मजयन्ति के कार्यक्रम में आचार्य श्री चंदना जी महाराज "ताई माँ ,उपाध्याय यशा जी,  साधना जी, विभा जी , श्रुति जी, सम्प्रज्ञा जी , रोहिणी जी, शाश्वत जी, दिव्या जी एवं देश-विदेश से आये लोग उपस्थित थे।

राजगीर स्थीत विरायतन में राष्ट्रसंत उपाध्याय श्री अमरमुनि जी का 118 वां जन्म उत्सव मनाया गया,राष्ट्रसंत उपाध्याय श्री अमरमुनि जी वीरायतन की स्थापना के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं राजगीर स्थीत विरायतन में राष्ट्रसंत उपाध्याय श्री अमरमुनि जी का 118 वां जन्म उत्सव मनाया गया,राष्ट्रसंत उपाध्याय श्री अमरमुनि जी वीरायतन की स्थापना के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं Reviewed by News Bihar Tak on October 21, 2021 Rating: 5

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