राजगीर में भूटानी मंदिर की ऊंची चोटी पर बने स्वर्ण शिखर का उद्घाटन किया गया,कार्यक्रम में भूटान सरकार के कई अधिकारी रहे उपस्थित


भारत और भुटान के राजनयिक संबंधों को 50 साल पूरा होने पर बिहार सरकार के सहयोग से भुटान सरकार के द्वारा राजगीर में पहला भूटानी मंदिर का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।वहीं भूटान सरकार के द्वारा मंदिर के सबसे ऊंची चोटी पर बनाए गए बौद्ध धर्म के अनुसार स्वर्ण शिखर बनाया गया है।

जिसको पूरे बौद्ध परंपराओं के अनुसार उद्घाटन किया गया।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भूटान के कोलकाता दूतावास कंसलटेंट जनरल तसी पिंजोर शामिल हुए।साथ ही भूटान के कई वरीय अधिकारी भी शामिल हुए।इस अवसर पर रॉयल भूटान बौद्ध मंदिर बोधगया के चीफ लामा उगेन पिंजोर के नेतृत्व में बौद्ध भिक्षुओं भूटान क संस्कृति और परंपराओं के बिच पुजा अर्चना किया।घंटो मंत्रोच्चारण के बीच भगवान बुद्ध को नमन किया गया है। उसके बाद पूरे बौद्ध परंपराओं के अनुसार उद्घाटन किया गया।वहीं मंदिर को देखने के लिए बहुत जल्द ही भूटान के प्रधानमंत्री और वहां के राजा भी जल्द राजगीर आएंगे।

इस अवसर पर भूटान के कोलकाता दूतावास कंसलटेंट जनरल तसी पिंजोर ने कहा भूटान सरकार के द्वारा यह मंदिर का निर्माण कार्य बहुत तेजी गति से पूरा किया जा रहा है।और यह मंदिर बहुत जल्द ही पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो जाएगा।उन्होंने कहा कि भारत और भुटटान के राजनयिक संबंधों को 50 साल पूरा होने पर बिहार सरकार के सहयोग से भुटान सरकार राजगीर में पहला भूटानी मंदिर का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।और आज मंदिर के सबसे ऊंची चोटी पर बनाए गए बौद्ध धर्म के अनुसार स्वर्ण शिखर ( सरटोग) बनाया गया है।जिसको पूरे बौद्ध परंपराओं के अनुसार उद्घाटन किया गया। उन्होंने कहा की भगवान बुद्ध के संदेशों को अपनाकर आज भूटान देश चल रहा है।

उन्होंने कहा कि बुद्ध दर्शन के मुख्‍य तत्व चार आर्य सत्य,आष्टांगिक मार्ग, प्रतीत्यसमुत्पाद, अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन,बुद्ध कथाएँ, अनात्मवाद और निर्वाण बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए, जो त्रिपिटकों में संकलित हैं। त्रिपिटकों का एक भाग है धम्मपद।प्रत्येक व्यक्ति को तथागत बुद्ध के बारे में जानना चाहिए।जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो। फिर जीत हमेशा तुम्हारी होगी, इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता। उन्होंने कहा कि किसी भी हालात में तीन चीजें कभी भी छुपी नहीं रह सकती, वो है। सूर्य, चन्द्रमा और सत्य।जीवन में किसी उद्देश्य या लक्ष्य तक पहुंचने से ज्यादा महत्वपूर्ण उस यात्रा को अच्छे से संपन्न करना होता है।

बुराई से बुराई कभी खत्म नहीं होती। घृणा को तो केवल प्रेम द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है।यह एक अटूट सत्य है।सत्य के मार्ग पर चलते हुए व्यक्ति केवल दो ही गलतियां कर सकता है,


पहली या तो पूरा रास्ता न तय करना, दूसरी या फिर शुरुआत ही न करना।जिस तरह एक जलते हुए दीये से हजारों दीपक रोशन किए जा सकते है, फिर भी उस दीये की रोशनी कम नहीं होती, उसी तरह खुशियां बांटने से हमेशा बढ़ती है, कभी कम नहीं होती। उन्होंने कहा जीवन में आप चाहें जितनी अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ लो, कितने भी अच्छे शब्द सुनो, लेकिन जब तक आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते तब तक उसका कोई फायदा नहीं होगा।हमेशा क्रोधित रहना, जलते हुए कोयले को किसी दूसरे व्यक्ति पर फेंकने की इच्छा से पकड़ रखने के समान है।

यह क्रोध सबसे पहले आपको ही जलाता है।क्रोध में हजारों शब्दों को गलत बोलने से अच्छा, मौन वह एक शब्द है जो जीवन में शांति लाता है। इस अवसर पर चीफ लामा उगेन पिंजोर ने कहा कि जिन्हें मनुष्य ने अपने अज्ञान, ग़लत ज्ञान या मिथ्या दृष्टियों से पैदा कर लिया हैं उन दुखों का निराकरण सही ज्ञान द्वारा ही किया जा सकता है।गौतम बुद्ध स्वयं कहीं प्रतिबद्ध नहीं हुए और न ही अपने शिष्यों को उन्होंने कहीं बांधा। उन्होंने कहा है कि मेरी बात को इसलिए चुपचाप न मानो उसे मैंने यानी बुद्ध ने कहा है। उस पर भी सन्देह करो और विविध परीक्षाओं द्वारा उसकी परीक्षा करो।

जीवन की कसौटी पर उन्हें परखो, अपने अनुभवों से मिलान करो, यदि तुम्हें सही जान पड़े तो स्वीकार करो, अन्यथा छोड़ दो। यही कारण था कि बौद्ध धर्म इस धर्म के मानने वाले अनुयाइयों को रहस्य से मुक्त, मानवीय संवेदनाओं को सीधे स्पर्श करता था।उन्होंने कहा भगवान बुद्ध ने लोगों को मध्यम मार्ग का उपदेश दिया। उन्होंने दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया। उन्होंने अहिंसा पर बहुत जोर दिया है। उन्होंने कहा कि जीवन में पूर्णता प्राप्त करना। निर्वाण प्राप्त करना। तृष्णा का त्याग करना। यह मानना कि सभी संस्कार अनित्य है। कर्म को मानव के नैतिक संस्थान का आधार मानना गौतम बुद्ध के अनुसार धम्म है।परा-प्रकृति में विश्वास करना।आत्मा में विश्वास करना कल्पना- आधारित विश्वास मानना। धर्म की पुस्तकों का वाचन करना बुद्ध के अनुसार अ धम्म माना यही गौतम बुद्ध के अनुसार अ धम्म है।जो धम्म प्रज्ञा की वृद्धि करे। जो धम्म सबके लिए ज्ञान के द्वार खोल दे। जो धम्म यह बताए कि केवल विद्वान होना पर्याप्त नहीं है।जो धम्म यह बताए कि आवश्यकता प्रज्ञा प्राप्त करना है।

यही बुद्ध के अनुसार सद्धम्म है।इस अवसर पर मुखू बौद्ध भिक्षु कर्मा दोरजी ने कहा कि एक साल के अंदर यह यह मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।आज पूरे बौद्ध परंपराओं के अनुसार यह कार्यक्रम संपन्न कराया गया है।उन्होंने कहा कि यह मंदिर को देखने के लिए जल्द ही भूटान के प्रधानमंत्री एवं वहां के राजा भी आएंगे।यह मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भूटान से काफी संख्या में बौद्ध धर्मावलंबी प्रतिदिन काफी संख्या यहां पहुंचेंगे।इस अवसर पर प्रोजेक्ट डायरेक्टर किनले ग्येलट्शेन ने कहा कि भारत और भूटान के साझा सांस्कृतिक मूल्यों की एक भौतिक अभिव्यक्ति है।जो इन दोनों देशों को बांधे हुए है।

उन्होंने बताया कि इस मंदिर का शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 11 नवंबर 2018 को किया था। कहा कि इस मंदिर में बैठकर काफी संख्या में बैठकर बौद्ध भिक्षु पुजा अर्चना करेंगे। उन्होंने बताया कि इस मंदिर की ऊंचाई 70 फीट होगी। उन्होंने कहा यहां बौद्ध बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए भी भवन का भी निर्माण कार्य तेजी गति से पुरा किया जा रहा है।

राजगीर में भूटानी मंदिर की ऊंची चोटी पर बने स्वर्ण शिखर का उद्घाटन किया गया,कार्यक्रम में भूटान सरकार के कई अधिकारी रहे उपस्थित राजगीर में भूटानी मंदिर की ऊंची चोटी पर बने स्वर्ण शिखर का उद्घाटन किया गया,कार्यक्रम में भूटान सरकार के कई अधिकारी रहे उपस्थित Reviewed by News Bihar Tak on November 17, 2023 Rating: 5

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