30 से भी अधिक देश के विद्यार्थियों के साथ आयोजित हुआ नालंदा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय 'रेजोनेंस फेस्ट',रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी हुआ आयोजन
30 से भी अधिक देश के विद्यार्थियों के साथ आयोजित हुआ नालंदा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय 'रेजोनेंस फेस्ट',रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी हुआ आयोजन
नालंदा विश्वविद्यालय में 'रेजोनेंस' नामक सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन किया।इस वर्ष विश्वविद्यालय में नामांकित 30 से अधिक देशों के छात्र इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का हिस्सा थे।इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का विषय 'द रेजोनेंस - व्हेयर द वर्ल्ड कम्स टुगेदर' था। कार्यक्रम का आयोजन स्टूडेंट्स वेलफेयर विभाग के सहयोग से किया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति प्रो. सुनैना सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर और उपनिषद के श्लोक 'असतो मा सद्गमय' के पाठ के साथ किया गया,जिसका अर्थ है, 'मुझे अंधकार से अज्ञान से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले चलो'।इसके बाद वियतनाम के छात्रों के एक समूह द्वारा बौद्ध मंत्रोच्चार किया गया। छात्र समूह ने वियतनामी परंपरा में एक संस्कृत बौद्ध मंत्र 'नीलकंठ धारणी' का पाठ किया। पारम्परिक वाद्य यंत्रों सहित इस मंत्रोच्चारण के बाद संस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला थी जिसमें इंडोनेशिया के छात्रों के एक समूह के इंडोनेशियाई गीत, युगांडा और जमैका के छात्रों के लोक नृत्य, ईरान के एक छात्र द्वारा फारसी कविता का पाठ शामिल था। भारतीय छात्रों के कार्यक्रमों में उर्दू कविता पाठ और उप-शास्त्रीय संगीत और बॉलीवुड गीतों पर प्रदर्शन भी शामिल थे।यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के मिनी सभागार में आयोजित किया गया।राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के इन प्रदर्शनों से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।अपने-अपने देशों के गीत और नृत्य की इन प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्रों ने अपनी देश की सांस्कृतिक विरासत की विशिष्टता को प्रस्तुत करने का प्रयास किया।कार्यक्रम में अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी परिलक्षित हुआ जब एक भूटानी छात्र ने एक हिंदी गीत की सुंदर प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।इस आयोजन के दौरान ईरान के एक छात्र ने मौलाना जलालुद्दीन रूमी के रहस्यमय छंदों का पाठ किया और अपने और ईरान के पड़ोसी देशों में राजनीतिक उथल-पुथल की समस्याओं के बारे में बात की।उन्होंने अपने देश की प्राचीन संस्कृति पर भारतीय सूफी परंपरा के प्रभाव पर प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय के कुछ संकाय सदस्यों ने भी कार्यक्रम के दौरान अपने प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 30 से अधिक देशों के छात्रों और संस्कृतियों को एक मंच पर शामिल करना था। कार्यक्रम का समापन नालंदा अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के भाषण के साथ हुआ। उन्होंने बताया कि कैसे इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम छात्रों के चरित्र निर्माण और उनके सर्वागीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने अपने संबोधन में छात्रों के विद्वत्ता और चरित्र निर्माण के विकास में शिक्षकों की भूमिका और जिम्मेदारी की ओर भी ध्यान आकर्षित किया।प्रो. सिंह ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के इस अद्भुत सांस्कृतिक समायोजन के लिए छात्रों और इससे जुड़े सभी लोगों को धन्यवाद दिया।उन्होंने विश्वविद्यालय के उन खिलाड़ियों को भी सम्मानित किया जो हाल ही में विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित खेल प्रतियोगिताओं में विजेता रहे हैं। कार्यक्रम का समापन एक समूह गीत के साथ हुआ जिसमें पृथ्वी की प्राकृतिक संपदा को बचाने का संदेश था।कोविड-19 लॉकडाउन के प्रतिबंध हटने के बाद विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाला यह पहला सांस्कृतिक कार्यक्रम था। कार्यक्रम में नालंदा विश्वविद्यालय समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान कोविड-19 से संबंधित दिशा-निर्देशों का पूरा ध्यान रखा गया,
30 से भी अधिक देश के विद्यार्थियों के साथ आयोजित हुआ नालंदा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय 'रेजोनेंस फेस्ट',रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी हुआ आयोजन
Reviewed by News Bihar Tak
on
September 26, 2021
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