ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के चेतावनी दिवस के आह्वान पर ईसीआरकेयू शाखा सडिमका हरनौत एवं समस्त कर्मचारियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया
ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के चेतावनी दिवस के आह्वान पर ईसीआरकेयू शाखा सडिमका हरनौत एवं समस्त कर्मचारियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया
ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के चेतावनी दिवस के आह्वान पर ईसीआरकेयू शाखा सडिमका हरनौत एवं समस्त कर्मचारियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया।ज्ञात हो कि हाल ही में केन्द्र सरकार के द्वारा 6 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाईपलाईन की घोषणा की गई थी, जिसमें भारतीय रेलवे के 400 रेलवे स्टेशन, 90 पैसेंजर ट्रेन, 400 किलोमीटर की रेलवे लाईन, 265 गुड्स शेड, 741 किलोमीटर कोंकण रेलवे, 4 हिल रेलवे स्टेशन, 673 किलोमीटर डेडिकेटेड फ्रेड काॅरिडोर, 15 रेलवे स्टेडियम, एवं रेलवे कालोनियों को निजी कंपनियों को देने की बात कही गई थी। ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष महेश कुमार महतो ने कहा कि माॅनिटाईजेसन के लिए जिन-जिन स्टेशनों, लाईनों एवं अन्य रेलवे की संपत्तियों का चयन प्रस्तावित है वे रेलवे के कमाऊ संसाधन हैं। जब रेलवे के कमाऊ संसाधनों को ही सरकार निजी कंपनियों के हवाले कर देगी तो रेलवे एवं रेलकर्मियों की हालत और भी खराब हो जाएगी। उन्होंने रेलवे में मौद्रिकरण की योजना को भारतीय रेलवे को निगमीकरण की ओर धकेलने की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि सरकार उन्हीं संसाधनों को माॅनिटाईजेसन के लिए नामित कर रही है जो पूर्णरूपेण विकसित है, जो कि सरासर गलत है। मुट्ठीभर लोगों को खुश करने के लिए विकसित संसाधनों को माॅनिटाईजेसन के नाम पर कंपनियों के हवाले करना सरकार की नाकामी है। यदि माॅनिटाईजेसन और विकास के नाम पर सरकार निजी कंपनियों की मदद करना ही चाहती है तो अविकसित एवं ग्रामीण क्षेेत्रों को कंपनियों के हवाले करे।विकसित संसाधनों को किसी भी सूरत में कंपनियों के हवाले नहीं करने दिया जाएगा और जबतक सरकार अपने इस तुगलकी फैसले को वापस नहीं लेती है तबतक हमारा संघर्ष और राष्ट्र व्यापी विरोध जारी रहेगा और जरूरत पड़ी तो रेल का पहिया भी रूक सकता है। कार्यकारी अध्यक्ष बच्चा लाल प्रसाद ने बताया कि सरकार पहले निगमीकरण का रोडमैप तैयार कर रही थी परंतु रेलकर्मियों के विरोध को देखकर अब सरकार साजिश का रोडमैप भी तैयार करने लगी है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे को हमेशा घाटे में बताया जाता रहा है। ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि घाटे वाली चीजों को लेने के लिए केवल मुनाफे में चलने वाले उद्योगपति मुंह खोल कर बैठे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री जी ने डी एल डब्ल्यू वाराणसी में अपने संबोधन में कहा था कि रेलवे में निजीकरण की कोई योजना नहीं है जबकि उन्हीं प्रधानमंत्री की एक केंद्रीय मंत्री प्रधानमंत्री के नाक के नीचे ही माॅनिटाईजेसन के लिए रेलवे के विकसित संसाधनों को निजी कंपनियों के हवाले सौपनें का काम कर रही है। मनोज कुमार मिश्र ने कहा कि कर्मचारियों एवं भारतीय नागरिकों के विरोध के कारण जब सरकार सीधा निगमीकरण करने में असफल रही तो माॅनिटाईजेसन के बहाने निगमीकरण का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभी रेलवे में भाड़े में वृद्धि की गई है जिसका रेलवे संगठनों ने समर्थन किया था ताकि रेलवे को सही स्थिति में लाया जा सके।कर्मचारियों की संख्या पहले से कम होते हुए भी रेलवे की आय में बेहतरीन वृद्धि हुई है। फिर भी अगर माॅनिटाईजेसन की योजना में रेलवे को धकेला जा रहा है तो सरकार की नीयत पर सवाल उठेंगे ही! यदि सरकार का यही रूख रहा तो एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा के नेतृत्व में केंद्रीय कमेटी द्वारा संघर्ष की जो भी दिशा निर्देश जारी की जाएगी उसके अनुसार हम सभी रेलवे कर्मचारियों का विरोध केन्द्र सरकार को झेलना होगा। इस अवसर पर ,सहायक सचिव राकेश रंजन ,मंजय कुमार , उपाध्यक्ष रणजीत कुमार,शाखा पार्षद गिरजा प्रसाद ,सत्येन्द्र कुमार युवा सचिव बिपिन कुमार ,युवाध्य्क्ष कृष्णा कुमार,क्रीड़ा सचिव रणजीत कुमार पोदार , उपेन्द्र गुप्ता सहित , अशोक पाण्डेय,कमला प्रसाद एवं अन्य कर्मचारी भाग लिये ।
ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के चेतावनी दिवस के आह्वान पर ईसीआरकेयू शाखा सडिमका हरनौत एवं समस्त कर्मचारियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया
Reviewed by News Bihar Tak
on
September 08, 2021
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