राजगीर में आयोजित दसलक्षण पर्व के नौवें दिन उत्तम अकिंचन धर्म पर जिनालयों में की गई भक्तिभाव से आराधना

राजगीर में आयोजित दसलक्षण पर्व के नौवें दिन उत्तम अकिंचन धर्म पर जिनालयों में की गई भक्तिभाव से आराधना

राजगीर ।।

राजगीर में आयोजित दसलक्षण पर्व के नौवें दिन 'उत्तम अकिंचन धर्म' पर सभी जिनालयों में भक्तिभाव से श्री जी का अभिषेक शांतिधारा एवं भव्य महाआरती का आयोजन सम्पन्न हुआ।धर्मशाला मन्दिर, जन्मभूमि मन्दिर, गर्भगृह मंदिर, वीरशासन धाम तीर्थ में शांतिधारा तथा सोलहकारण व दसलक्षण पर्व की पूजाएं संगीतमय वातवरण में सम्पन्न हुई।इस अवसर पर रवि कुमार जैन ने आकिंचन धर्म पर बताया कि कहा कि आत्मा के सिवाए और कुछ भी नहीं है। इस भव को जागृत करने का नाम ही उत्तम आकिंचन है। उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, तप, त्याग धर्म में बुराई छोड़कर अच्छाई की और गए। और अब आकिंचन धर्म उस अच्छाई को त्यागने को कहता है। पाप और पुण्य, सुख और दुख, राग व द्वेष, क्रोध व प्रेम सभी को एक समान छोड़ना होगा। किंचित भी पर पदार्थ को स्वीकार नहीं करना आकिंचन धर्म है पर वस्तु को अपना मान लेना बहुत बड़ा भ्रम है। क्योंकि पर वस्तु न तो मेरी कमी थी और कभी न हो सकेगी। संसार में न कुछ मेरा है न कुछ तेरा है।पयुर्षण पर्व की महान उपलब्धि यह है कि शरीर इस भाँति मुक्त हो कि इसे पुनः धारण करने की जरूरत नहीं पड़े। यही निर्वाण अवस्था है। भगवान महावीर स्वामी ने इसी निर्वाण को प्राप्त किया है। सांसारिक कष्टों से मुक्ति के लिए क्यों न हम निर्वाण प्राप्ति को लक्ष्य बनाएँ। जिस प्रकार चावल में अंकुरित होने की शक्ति नहीं होती, उसी प्रकार निर्वाण प्राप्त कर लेने के पश्चात जीवन अंकुरित होने अर्थात जन्म  मरण के दुःखों से सदा के लिए मुक्त हो जाता है। "आत्मशुद्धि साधनम्‌ धर्मः" अर्थात जो भी आत्मशुद्धि के साधन हैं, धर्म हैं। पर्वराज पर्यूषण की शिक्षा हमें धर्म साधना द्वारा कल्याण के मार्ग से जोड़ती है। इससे आत्मा में परिशुद्धता और जीवन में पारदर्शिता आती है।आगे बताते हुए संजीत जैन ने कहा कि - उत्तम आकिंचन्य को धारण करने का भाव आना एक गुण है। परिग्रह एवं उसके साथ होने वाली चिंता दुख का ही कारण है। जिस प्रकार, एक छोटी-सी फ़ांस भी बहुत दुख का कारण बन जाती है।उसी प्रकार, एक लंगोटी मात्र की इच्छा भी बहुत दुखी करती है।किंचित मात्र भी मेरा नहीं, ऐसी भावना रखकर जीवन जीना आकिंचन कहलाता हैं। हमें अनावश्यक परिग्रह नहीं करना चाहिए। जो वस्तुएं हमारे काम की नहीं भी होती है उसे छोड़ देना चाहिए या किसी जरूरतमंद को दे देना चाहिए। इससे हम अनावश्यक परिग्रह से लगने वाले दोष से बच सकते हैं।इस कार्यक्रम में संजीत जैन, मुकेश जैन, आशीष जैन, रवि कुमार जैन, चंदन जैन, मनीष जैन, उपेन्द्र जैन, पवन जैन, ज्ञानचंद जैन, अनूप जैन, अशोक जैन, संपत जैन, प्रेमलता जैन, संतोष जैन, गुड़िया जैन, कोमल जैन, नैना जैन, गीता जैन, आयुषी, रिया, संकेत, अमन, गौतम, अक्षत, छोटू, बिट्टू, रौशन सहीत अन्य लोग उपस्थीत थे।
राजगीर में आयोजित दसलक्षण पर्व के नौवें दिन उत्तम अकिंचन धर्म पर जिनालयों में की गई भक्तिभाव से आराधना राजगीर में आयोजित दसलक्षण पर्व के नौवें दिन उत्तम अकिंचन धर्म पर जिनालयों में की गई भक्तिभाव से आराधना Reviewed by News Bihar Tak on September 19, 2021 Rating: 5

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