40 सदस्यीय राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और छात्रों की टीम गठित की गई है।प्रथम चरण के तहत इस टीम ने वैभारगिरी पर्वत पर पहुंच कर उसके संरक्षण से जुड़े कई पहलुओं का बारिकी से किया अध्ययन

40 सदस्यीय राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और छात्रों की टीम गठित की गई है।प्रथम चरण के तहत इस टीम ने वैभारगिरी पर्वत पर पहुंच कर उसके संरक्षण से जुड़े कई पहलुओं का बारिकी से किया अध्ययन 
राजगीर!!
कुलपति प्रो.सुनैना सिंह के मार्गदर्शन में नालंदा विश्वविद्यालय ने राजगीर में विश्व शांति और पहाड़ों के संरक्षण की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाया है।राजगीर की पहाड़ियों की सांस्कृतिक, पौराणिक, पुरातात्विक,पारिस्थितिक और पर्यावरणीय विरासत को सहेजने की दिशा में नालंदा विश्वविद्यालय भागीरथी प्रयास कर रहा है।इसके लिए एक 40 सदस्यीय राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और छात्रों की टीम गठित की गई है।प्रथम चरण के तहत इस टीम ने वैभारगिरी पहाड़ी पहुंच कर उसके संरक्षण से जुड़े कई पहलुओं का बारिकी से अध्ययन किया था, इसी प्रयास को आगे बढ़ाते हुए विश्वविद्यालय की ये टीम गृद्धकूट पहाड़ी पर पहुंची। विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एन्वायरन्मेंट स्टडीज के डीन की अगुवाई में गृद्धकूट पहाड़ी पर पहुंची इस टीम ने वहां पर पुरातात्विक और पर्यावरणीय महत्व से जुड़े तमाम पहलुओं का बारिकी से अध्ययन किया । फिलहाल टीम के सदस्य गृद्धकूट और उसके आस-पास के इलाकों से जुटाए गए आंकड़ों का विश्लेषण करने में जुटे हुए हैं। प्रारंभिक अध्ययन में, मानवीय लापरवाही और उचित निगरानी का अभाव को पहाड़ों के संरक्षण की दिशा में सबसे बड़ी रुकावट माना गया है। गृद्धकूट पहाड़ी को पाली और संस्कृत बौद्ध साहित्य में सबसे शुभ स्थानों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है। यहीं पर गौतम बुद्ध ने कई महत्वपूर्ण महायान सूत्रों की शिक्षा दी थी। इन सूत्रों में से कुछ खास लोटस सूत्र (सद्धर्म-पुंडरिका सूत्र), सुरंगमा समाधि सूत्र, और हृदय सूत्र हैं। इन सभी सूत्रों का उद्देश्य विश्व शांति और मनुष्य के मंगल कामना से जुड़ा हुआ है। नालंदा विश्वविद्यालय की टीम ने विश्व भर में कोविड से पीड़ित लोगों की मंगल कामना और विश्व शांति के लिए इन्ही में से एक सूत्र हृद्य सूत्र का मंत्रोच्चारण उसी जगह पर किया जहां पर कभी गौतम बुद्ध ने इस सूत्र की शिक्षा दी थी। इसके साथ ही विशेषज्ञों ने इस हृद्य सूत्र के महत्व के बारे में विस्तार से बताया।नालंदा विश्वविद्यालय की टीम के विशेषज्ञों ने इस अभियान के दौरान पहाड़ों के संरक्षण में हो रही लापरवाही पर चिंता जताई और उसके समाधान पर गहन चर्चा की। नालंदा विश्वविद्यालय राजगीर की पहाड़ियों के संरक्षण की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है और आने वाले दिनों में इसी तरह से विशेषज्ञों की टीम दूसरी पहाड़ियों पर भी पहुंच कर उसके संरक्षण से जुड़े तमाम आंकड़े जुटाएगी और उसका विश्लेषण करेगी। ये टीम ना सिर्फ पहाड़ियों के संरक्षण बल्कि पहाड़ियों पर मौजूद पौराणिक विरासत और पुरातात्विक महत्व की चीजों के बारे में भी लोगों को जागरुक करेगी और कुलपति प्रो.सुनैना सिंह के नेतृत्व में उनको संरक्षित करने की दिशा में गंभीर प्रयास करेगी।
40 सदस्यीय राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और छात्रों की टीम गठित की गई है।प्रथम चरण के तहत इस टीम ने वैभारगिरी पर्वत पर पहुंच कर उसके संरक्षण से जुड़े कई पहलुओं का बारिकी से किया अध्ययन 40 सदस्यीय राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और छात्रों की टीम गठित की गई है।प्रथम चरण के तहत इस टीम ने वैभारगिरी पर्वत पर पहुंच कर उसके संरक्षण से जुड़े कई पहलुओं का बारिकी से किया अध्ययन Reviewed by News Bihar Tak on September 07, 2021 Rating: 5

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