जब रामायण के रावण (अरविंद त्रिवेणी) को अयोध्या मे नहीं करने दिया गया था श्री राम के द्रशन || Ramayan
आज से 34 साल पहले जब रमानन्द सागर जी का सम्पूर्ण रामायण दूरदर्शन पर टेलिकास्ट हुआ तब उस रामायण के पात्र मे लोग इतना डूब गए थे। की उन कैरेक्टर को असली समझने लगे थे। रामायण सुरू होने से पहले लोग हाथ पैर धोकर रामायण देखते थे और टीवी मे ही राम के करेक्टर को पैर छु लेते थे। यहाँ तक की राम का अभिनय करने बाले अरुण गोबिल जब कहीं निकलते थे तो उनकी पैर भी कई लोग राम समझ कर छू लेते थे। ग्रामीण इलाकों मे तो भगवान आए हैं कह कर सम्बोधन होता था।
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बात प्रशाशन तक पहुंची, प्रशाशन आया और लाख विनती की घुटनो पर बैठ गया लेकिन पुजारी जी झुके नहीं अपनी बातों पर अटल रहे - की मैं इन्हे किसी कीमत पर हनुमान जी का दर्शन नहीं करने दूंगा। त्रिवेदी जी को निराश होकर बापस जाना पड़ा। रावण का भिनय करने वाले त्रिवेदी जी एकदम अलग और शिथिल रहने लगे।
जब लोगो को अपने से घृणा और इशया करते देखे तब त्रिवेदी जी ने अपने घरो और कमरो की दीवारों पर दोहे और चौपाई लिखवाये, घर के बाहर एक बड़ा सा बोर्ड लगवाए और उस पर लिखवाया " श्री राम दरवार" इस पर भी उनके मन मे ये संताप रहने लागा की मैंने सीरियल मे ही सही लेकिन बार बार हमने श्री राम को अपमान जनक शब्द बोले हैं तो उन्होने हर साल रामायण का पाठ सुरू कर दिये। ताकि कुछ प्रायश्चित कर सके।
ऐसे अरविंद त्रिवेदी जी राम के बहुत बड़े भक्त हैं। और उन्हे नफरत भरी नजर से देखना सही नहीं है।
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जब रामायण के रावण (अरविंद त्रिवेणी) को अयोध्या मे नहीं करने दिया गया था श्री राम के द्रशन || Ramayan
Reviewed by News Bihar Tak
on
September 02, 2021
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